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INCOME TAX: इनकम टैक्स भरते वक्त इन 6 बातो का ध्यान जरुर, रखे नहीं तो आएगा इनकम टैक्स का नोटिस

नई दिल्ली: इनकम टैक्स भरते वक्त इन 6 बातो का ध्यान जरुर , रखे नहीं तो आएगा इनकम टैक्स का नोटिस , इकनम टैक्स रिटर्न भरने की तारीख नजदीक आ रही है. आखिरी समय पर रिटर्न फाइल करने से अच्‍छा है कि यह जरूरी काम समय रहते ही निपटा लिया जाए. जल्‍द रिटर्न फाइल करने पर आपको टैक्स रिफंड भी जल्दी मिल जाएगा.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईटीआर बिल्‍कुल ठंडे दिमाग से भरना चाहिए. इस काम में जल्दबाजी या लापरवाही भारी पड़ सकती है. कुछ ऐसी गलतियां हैं, जो आयकरदाता से आईटीआर भरते वक्‍त ज्‍यादा होती हैं. इन गलतियों को पहले ही जान लेना चाहिए ताकि आप गलती से भी कोई मिस्‍टेक न कर बैठें.

एक गलती जो बहुत ज्‍यादा देखने को मिलती है, वो है गलत आईटीआर फार्म का चुनाव. आयकर विभाग ने कई ITR फार्म निर्धारित किए हैं. आय के साधन के आधार पर इन्‍हें चुनना होता है. लेकिन, बहुत से लोग गलत फार्म का चुनाव कर लेते हैं. आयकर विभाग इसे अस्वीकार कर देता है और टैक्‍सपेयर को आयकर अधिनियम की धारा 139(5) के तहत रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने के लिए कहता है.

यह गलती भी बहुत ज्‍यादा होती है. कुछ लोग गलती से अपनी आय के सभी स्रोत नहीं बताते, तो कुछ जानबूझकर इन्‍हें छिपाते हैं. ऐसा नहीं करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है. बचत खाते के ब्याज और घर के रेंट से होने वाली आय जैसी जानकारियां आईटीआई रिटर्न करते वक्‍त जरूर दें.

 

आजकल हर किसी के एक से ज्‍यादा बैंक खाते हैं. अक्‍सर होता यह है कि आयकरदाता अपने उन खातों की जानकारी तो दे देता है, जिनका वह ज्‍यादा इस्‍तेमाल करता है. लेकिन, कभी कभार प्रयोग किए जाने बैंक अकाउंट की जानकारी नहीं देता. आयकर कानूनों के अनुसार, सभी बैंक खातों की डिटेल आईटीआर में देना जरूरी है. ऐसा न करने भी आपको नोटिस मिल सकता है.

इनकम टैक्‍स रिटर्न को वेरिफाई करना बेहद जरूरी है. ऐसा न करने पर आईटीआर भरा नहीं माना जाता. लेकिन, बहुत से टैक्‍सपेयर को इस नियम की जानकारी न होने या गलती से, वे आईटीआर वैरिफाई नहीं करते. इससे वह इनवेलिड हो जाती है. इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल पर ऑनलाइन आईटीआर ई-वेरिफाई कर सकते हैं.

फॉर्म 26AS या टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट आयकरदाता की आय पर काटे गए TDS के भुगतान की सभी जानकारी दे देता है. इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले Form 26AS और Form 16/16A का मिलान करना जरूरी होता है. लेकिन, बहुत से लोग यह जरूरी काम नहीं करते. इससे होता यह है कि टैक्स कैलकुलेशन में किसी गलती का पता आयकरदाता को नहीं चलता और उसे बाद में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है.

आईटीआर फॉर्म भरते वक्‍त अक्‍सर जो गलती टैक्‍सपेयर करते हैं, वो है अपनी गलत व्‍यक्तिगत जानकारी दे देना. जैसे नाम की गलत स्पेलिंग, पूरा पता न देना, या ईमेल या मोबाइल नंबर गलत लिख देना. गलत जानकारी देने पर आपको रिफंड मिलने में मुश्किल होती है. साथ ही आयकर विभाग से भी आपको रिटर्न से संबंधित कोई भी जानकारी मिलने के रास्‍ते बंद हो जाते हैं.

ज्यादातर लोग इनकम टैक्स रिटर्न आखिरी तारीख नजदीक आने पर ही आईटीआर भरते हैं. हड़बड़ी में आईटीआर भरने पर गलती की संभावना ज्‍यादा होती है. समय कम होने पर किसी तरह की गलती होने पर उसे सुधारने का समय नहीं मिल पाता. इसलिए आखिरी तारीख का इंतजार न करें और पहले ही रिटर्न फाइल कर लें.

इनकम टैक्‍स के नियमों के मुताबिक, अगर आपको एक साल में 50 हजार रुपए से ज्यादा का गिफ्ट मिला है तो उस पर टैक्‍स चुकाना होगा. इसका जिक्र ITR Filing में देना होगा. नहीं देने या भूल जाने पर रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग का भी प्रावधान है. लेकिन, चूक जाने पर नोटिस मिलने की संभावना है.

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